⛳⛳⛳⛳⛳श्री हनुमान चालीसा⛳⛳⛳⛳⛳
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि, जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥19॥
《अर्थ 》→ आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुँह मे रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नही है।
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*दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥
《अर्थ 》→ संसार मे जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।
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इस जगत के जितने भी दुष्कर कार्य है हनुमान जी की कृपा से वो आसानी से हो जाते है।
इसका प्रमाण है की प्रभु श्री राम की मुद्रिका मुँह में रखकर हनुमान जी 100 योजन का समुद्र भी पार कर गए वो भी एक ही छलांग में।
प्रश्न :- एक प्रश्न मन मे कई बार उठता है कि हनुमान जी ने मुद्रिका मुँह में क्यों रखी थी।
उत्तर :- संतजन कहते है कि मुद्रिका पर जो राम नाम अंकित है वो सदा मुँह में ही होना चाहिए। राम नाम की शक्ति से ही हनुमान जी महाराज इस संसार की सभी दुर्गम कार्य भी आसानी से कर दिए।
चाहे वो समुद्र पार कर माता सीता का पता लगाना हो या सोने की लंका को जलाना हो या संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को बचाना इत्यादि.....
इसी लिए कहा गया है....
मुख में हो राम नाम.....! राम सेवा हाथ मे....!!
तू अकेला नाही प्यारे.....! राम तेरे साथ मे......!!
तो सदा राम नाम का जप करे यही हनुमान जी द्वारा दिया गया मूल मंत्र है।
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बोलो बजरंगबली की........जय
श्री राम,,,,,,,, जय राम,,,,,,,,,जय जय राम,,,,,,,⛳
श्री राम,,,,,,,, जय राम,,,,,,,,,जय जय राम,,,,,,,⛳⛳
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अगली चौपाई का अर्थ अगली पोस्ट में.......
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जय श्री राम
जय बजरंग बली
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