रामायण का पहला श्लोक (बालकांड) –
📜 श्लोक:
तपःस्वाध्यायनिरतं तपस्वी वाग्विदां वरम् |
नारदं परिपप्रच्छ वाल्मीकिर्मुनिपुङ्गवम् ||
🔍 अर्थ:
महर्षि वाल्मीकि, जो हमेशा तपस्या और वेदाध्ययन में लीन रहते थे, उन्होंने वाणी के श्रेष्ठ ज्ञाता महर्षि नारद से एक प्रश्न पूछा।
📖 यह श्लोक रामायण के आरंभ में आता है, जहाँ ऋषि वाल्मीकि (🧘♂️) नारद मुनि (🎶) से एक ऐसे आदर्श पुरुष के बारे में पूछते हैं जो सभी गुणों से संपन्न हो। यही प्रश्न श्रीराम की कथा के आरंभ का कारण बनता है।
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