माँ दुर्गा की कहानी – महिषासुर वध

माँ दुर्गा की कहानी – महिषासुर वध
बहुत समय पहले, पृथ्वी पर महिषासुर नाम का एक शक्तिशाली असुर हुआ। उसने घोर तपस्या करके ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान माँगा। ब्रह्मा जी ने कहा कि कोई भी देवता या पुरुष उसे नहीं मार सकेगा, लेकिन एक स्त्री द्वारा उसका वध संभव होगा। महिषासुर ने इसे अपनी अमरता मान लिया और तीनों लोकों पर आक्रमण कर दिया।

देवी दुर्गा का प्राकट्य

महिषासुर के आतंक से त्रस्त होकर देवताओं ने त्रिमूर्ति – ब्रह्मा, विष्णु और महेश से सहायता मांगी। तब सभी देवताओं की शक्ति से एक दिव्य स्त्री प्रकट हुईं, जिनका नाम माँ दुर्गा रखा गया।

शिव जी ने उन्हें त्रिशूल दिया,

विष्णु जी ने चक्र,

इंद्रदेव ने वज्र,

हिमालय पर्वत ने सिंह दिया, जिस पर वे सवार हुईं।


महिषासुर और माँ दुर्गा का युद्ध

माँ दुर्गा ने महिषासुर को युद्ध के लिए ललकारा। नौ दिनों तक भीषण संग्राम चला। माँ दुर्गा ने हर दिन एक नया रूप धारण कर असुरों का संहार किया। दसवें दिन, जब महिषासुर ने भैंसे का रूप धारण कर आक्रमण किया, तो माँ दुर्गा ने अपने त्रिशूल से उसका वध कर दिया।

नवरात्रि और विजयादशमी

महिषासुर पर देवी की इस विजय को विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिन माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है।

📜 शक्ति की यह कथा हमें सिखाती है कि सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है, और जब बुराई अपने चरम पर होती है, तब ईश्वरीय शक्ति अवतार लेती है। 🙏🔥

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